GULZAR SHAYARI SHAYARI FUNDAMENTALS EXPLAINED

gulzar shayari shayari Fundamentals Explained

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His verses advocate for endurance, comprehension, as well as strength that originates from genuinely realizing one another. This timeless wisdom resonates with those who find authenticity in contemporary associations.

अपने साये से चौंक जाते हैं, उम्र गुज़री है इस क़दर तनहा।

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मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो?

तन्हाई की दीवारों पर, घुटन का पर्दा झूल रहा हैं, बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।

तुम तारीफ के लिए कहना में फेंकता जाऊंगा।

बातें सुनना और सहना वार्ना हर शक्स फितरत से ..

जैसे आप तो वाकिफ़ हो फूलों की उम्र ज्यादा नहीं होती.

“दुनिया में कोई किसी का हमदर्द नहीं होता,

कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए, भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छीन लेती हैं।

सोचता था दर्द की दौलत से एक मैं ही मालामाल हूँ

मेरे चेहरे ने इतनी अच्छी अदाकारी की है

वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,

रिश्ते जब मजबूत हो जाते हैं तब बिन कहे महसूस होते हैं।

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